शरद पवार और अजीत पावर की जिस तरह से कुर्सी के लालच के चलते अजीत पवार ने चाचा का साथ छोड़कर बीजेपी का साथ दिया।
महाराष्ट्र में सियासी संग्राम के बीच एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस ने मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई। लेकिन जिस तरह से शिवसेना ने बीजेपी से अपना बरसों पुराना गठबंधन तोड़ा और बाद में कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। उससे ये आंदाजा लगाया जा सकता हैं कि शिवसेना कितने दिनों तक इस गठबंधन की सरकरा में रहेगी। क्योंकि तीनों पार्टियों की अलग-अलग सोच और विचारधारा है।
तो वहीं नई सरकार ने नए तरीके से काम शुरु कर दिया है। लेकिन अगर हम बात करें शिवसेना की तो शिवसेना एक कट्टर हिन्दूवादी विचारधारा रखने वाली पार्टी है। जिसकी विचारधारा कांग्रेस पार्टी से बिल्कुल ही अलग है। वहीं अगर बात की जाए सन् 1995 के चुनाव की तो उस समय शिवसेना को हराने में कांग्रेस पार्टी की अपनी एक अलग भूमिका रही। तो ऐसे में इस सरकार के ज्यादा दिन तक चलने के आसार कम नजर आते हैं। वहीं अगर बात कांग्रेस और एनसीपी की तो इन दोनों ही पार्टियों में बीते काफी समय से मतभेद देखने को मिलते रहे हैं।
अगर यहां बात की जाए महाराष्ट्र में चुनाव से लेकर सरकार बनने तक के सफर की तो देश की राजनीति में ऐसा हमें पहले भी कई बार देखने को मिला है। लेकिन महाराष्ट्र में सिर्फ राजनीति ही नहीं बल्कि पारिवारिक मतभेद भी देखने को मिले। जिस तरह से महाराष्ट्र में एक महीने तक सियासी संग्राम चला रातों रात सरकार बनाने से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने का ड्रामा काफी दिलचस्प रहा। read more
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